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Tuesday, 30 August 2016

Mazaraat Par Aurto Ka Jana Kaisa Hai?? In Hindi

मजारात पर औरतों को जाना केसा हे ?


☞ आज कल कुछ मर्द अपनी औरतों को बाजारों बागीचों सिनेमा घरों और दीगर मकामात पर ले जाते हैं और गैर मर्दों के सामने नुमाईस का जरिया बनते हैं
☞ और कुछ लोग बाजारों और सिनेमा घरों में तो नहीं ले जाते पर बुजुरगाने दिन के मजारत पर ले जाते हैं
इन औरतों के इन मुक़द्दस मुक़ामात पर आने से ये मुक़ामात भी खुराफात का अड्डा बनने लगे हैं
और कमाल ये है के औरतें सवाब समज कर यहां हाजरी देती हैं

☞ यकीनं मर्दों का औलिया अल्लाह के मजारों पर हाजरी देना खुस अकिदगी की अलामत है और बाइसे हुसूले खेर ओ बरकत भी हे लेकिन औरतों का जाना ना जाइज़ और गुनाह हे

☞ अल्लाह के प्यारे हबीब इरसाद फरमाते हैं
अल्लाह की लानत उन औरतों पर जो कब्रों की ज्यारत करें

(हवाला-इमाम अहमद ,इब्ने माज़ा,तिरमिजी,व्गेहराह)

☞ और इमाम क़ाज़ी अय्याज से सवाल किया गया के औरतों का मजारत पर जाना जाइज़ हे या नहीं ?
फरमाया ऐसी बातो में जाइज़(तो कुछ हे ही )नहीं
ये पुंछो के इस में औरत पर कितनी लानत पड़ती है

खबरदार

☞ जब औरत जाने का इरादा करती हे अल्लाह और उस के फ़रिश्ते उस औरत पर लानत करते हैं और जब वो घर से निकलती हे तो सब तरफ से  सेतान उसे घेर लेता है
और जब कब्र तक पहुंचती है तो साहिब ऐ मजार की रूह उस पर लानत करती है और जब वापस आती हे तो अल्लाह की लानत में होती है

(हवाला-फतवा ऐ अफ्रिका
   सफा नम्बर 82)

☞ और आला हजरत इमाम अहमद रज़ा साहब फरमाते हैं औरत का सिवाए नबी ऐ करीम मदनी आका
के रोजा मुबारक के अलावा किसी भी बुजुरग की क़ब्र की ज्यारत करना जाइज़ नहीं

(हवाला-फतवा ऐ अफ्रीका 82)

☞ एक बात गोर करने की ये  भी हि के हजरत उमर फारूक ने तो औरतों पर मस्जिदों में आने पर पाबन्दी लगा दी
हजरत  अब्दुल्लाह इब्ने उमर तो जो औरतेँ मस्जिद में आती उन्हें कंकरियां मार कर बाहर निकालते
(हवाला-जमालूंनूर फि,नाहीन
नीसा,सफा नम्बर 15)

☞ जब नमाज जेसी अहम इबादत के लिये औरत को मस्जिद में आने से रोका गया तो  फिर मजारात पर हाजरी की इजाजत कैसे हो सकती है?

☞ हजरत इमाम मुहम्मद गजाली तो फरमाते हैं
मर्द अपनी ओरत को घर की छत और दरवाजे पर ही जाने
ना  दे ताकि वो गैर मर्दों को और गैर मर्द उसे ना देख सके क्यों की बूराईयों की इब्तिदा ही दरवाजे और खिड़कियों से होती है

(हवाला- कीमियाये सआदत
        सफा 263)

☞ और प्यारे आका फरमाते हैं
औरत औरत है यानी छुपाने की चीज जब वो बाहर निकलती है तो शैतान उसे झाँक कर देखता हैं

(हवाला-तिर्मिज़ी हदीस 1173

☞ इन अहादीस व अक़वाल से साबित हुवा की औरत का बाहर जाना ले जाना शरीयत के खिलाफ और औरत के लीये मजारत की हाजरी भी ना जाइज़ और गुनाह है
क्या अब भी अपनी हरकतों से बाज ना आओ गे
       
☞ अगर हो सके तो इस पोस्ट को अपने दोसतों तक पहुंचाने की कोशीस करें ताकि सब तक ये पैगाम पहुंचे और ओलिया ऐ किराम के आस्ताने औरतों से पाक और साफ़ रहें

☞ अल्लाह अपने फजल से और अपने हबीब के सदके तुफैल मुझे और आप सब को इन बातों पर अमल करने की तौफीक अता फरमाऐ
आमीन या रब्बिल आलमी

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