शराफत के लिबादे में बडे़ अय्यार फिरते हैं,
शराफत के लिबादे में बडे़ अय्यार फिरते हैं,
वहाबी बद अक़ीदा हर तरफ मक्कार फिरते हैं
पहेन कर लंबा कुरता छोटी सी शलवार फिरते हैं,
मुसल्मां को फंसाने के लिये हथ्यार फिरते हैं,
नबी के उम्मती होने का दावा और गुस्ताखी ,
लिये कुफ्री ईबारत दर बदर ग़द्दार फिरते हैं,
समझ्ते कुछ नहीं क्या दीन क्या ईमान है यारो ,
बने फिर भी ये दीन के आप ठेकेदार फिरते हैं,
ख़ुदा ने ईस कदर रुस्वा किया है ईन्को दुन्या में ,
गधे सा पोटला लादे सरे बाज़ार फिरते हैं,
कहीं पर गालियां कहीं पर लात जुते ये ,
मगर बेशर्म ईतने हैं के ये हर बार फिरते हैं,
पडोसी के हवाले करके अप्ने बाल बच्चों को ,
मिले खाना तो चिल्ले के लिये तय्यार फिरते हैं,
ख़ुदा को झुटा साबित करते हैं ये देव के बंदे
ये ज़ालिम खुद बने सच्चे बडे अत्हार फिरते हैं
ना माने मुस्तफा को ये किसी भी चीज़ का मालिक
बने ये घर का अप्ने मालिक व मुख़्तार फिरते हैं,
मनाते हैं ये खुशियां होली दीवाली की ऐ लोगो
फक़त ये बारहंवी की ईद से बेज़ार फिरते हैं,
ईन्हें अल्लाह वालों की मज़ारों से एलर्जी है
मगर अप्ने बुज़ुरगों पर दीवाना वार फिरते हैं,
शिया के भोरियों के ये कभी भी घर नहीं जाते
नज़र सुन्नी पे होती है हज़ारों बार फिरते हैं,
करेंगे क्या भला ईस्लाह जो खुद बद अकीदा हैं
वो तुम्को क्या दवा देंगें जो खुद बीमार फिरते है,
हज़ारों ढुंटते है काश वो गुस्ताख मिल जाऐं
क़लम करने को सर हम भी लिये तलवार फिरते हैं
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