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Tuesday, 12 July 2016

Hindi Post Tapori Imam Ko Muh Tod Jawab

टपोरी इमाम को मुह तोड़ जवाब 

आप सभी हज़रात बा-गौर पढ़े इस पोस्ट को,
 इस पोस्ट में पॉलिसी बाज़,नमक हराम, जाहिल और नायब ए शैतान नुमा मस्जिद के इमाम का खुलासा किआ गया है,
जिन हराम खोरों ने सुन्नियो का खूब खाया और सुंनियत को खा गये, और जिनके दिल में एक मरज़ है हसद का जलन का अहले हक़ से, तभी तोह वो ये भाषण देते है की आज के दौर में सुन्नी तो माज़ल्लाह माज़ल्लाह तौबा तौबा तौबा तौबा
हुज़ूर गरीब नवाज़रदियल्लाहु अन्हु से आगे हुज़ूर आला हज़रत को बड़ा दे रहे है!!!
माज़ल्लाह

अगर मसलक ए आला हज़रत का नारा लगाना या हुज़ूर आला हज़रत का हर जलसे में ज़िकर करना इस बात की दलील बन जाती है की हम और औलिया अल्लाह को नही मानते?

तो मेरा इन पागल और जाहिल अनपढ़ टपोरी इमामो से एक सवाल है इनका ही उसूल इनपे पलट रहा हु


मज़हब ए हंफिया ही क्यों बना?
 हम हनफ़ी ही क्यों हुए और इमाम ए आज़म रदियल्लाहु अन्हु तो ताबेईन है और सहाबी तो ताबेईन से अफज़ल होते है  किसी सहाबी के नाम से मज़हब क्यों नही बना??

और पूरी दुनिया के हनफ़ी ही मज़हब का चर्चा है,हर जानिब हर तरफ, तो क्या सहाबी की अज़मत माज़ल्लाह कम हो गई इमाम ए आज़म अबू हनीफ रदियल्लाहु अन्हु से?

मैंने सिर्फ जाहिल इमाम का उसूल पलटा है जवाब दे नापाक टपोरी इमाम मरदूद!!!!!!


ये तो इल्मी मिसाल हो गई एक आसान सा उसूल देता हूँ ताकि लड़ने में काम आएगा टपोरी इमामो से


बहुत से सहाबी भी शहीद हुए और तोह और हज़रत ए हमज़ा रदियल्लाहु अन्हु भी शहीद हुए और उनको #सय्यदुश्शुहदा  नाम से याद किआ जाता है, लेकिन हमारे जलसों में इमाम ए अली मक़ाम प्यारे इमाम ए हुसैन रदियल्लाहु अन्हु का ज़्यादा ज़िक़्र होता है तोह क्या हम और शहीदों को नही मानते????
टपोरी सुलहकुल्लि पागल जाहिल इमाम जवाब दे???


जब ये जवाब दें तोह एक कान के निचे हुसड के झापड़ देने की सारी हरी हरी मिट जाये।।


बरेली शरीफ को अजमेर शरीफ,मकनपुर शरीफ,देवा शरीफ से अलग करने वाले हिजड़े नुमा टपोरी इमाम सुन ले कान खोल के


तमाम औलिया अल्लाह के फैजान को जमा कर लोगे तब जो शक्सियत वजूद में आएगी उस प्यारी ज़ात का नाम है हुज़ूर आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु


मेरा आक़ा हुज़ूर प्यारे गरीब नवाज़ रदियल्लाहु अन्हु
ने इस हिंदुस्तान में इस्लाम की शम्मा को रौशन किआ


और दूसरी जानिब सैय्यदों के सर का ताज, हुज़ूर गरीब नवाज़ रदियल्लाहु अन्हु की अता, शाह बदिउद्दीन मकनपुर शरीफ रदियल्लाहु अन्हु के सच्चे नायब
हुज़ूर आला हज़रत रहमतुल्लाह अलैही ने इस इस्लाम की शम्मा को बुझने से बचा लिया।।


टपोरी इमाम हराम खोर कान खोल के सुन मरदूद
ये देश मेरे गरीब नवाज़ सरकार का है हम उनका तो चर्चा करते ही है अल्लाह के फ़ज़्ल से लेकिन दूसरी
तरफ आला हज़रत ने
गरीब नवाज़ की मुहब्बत का जाम पिला दिया
सुन्नीओ के दिल में औलिया की मुहब्बत को बसा दिया
हम को यज़ीदी होने से बचा लिए
हुसैनी बना दिया,
सुन्नियो आज जो तुम फातिहा,नियाज़,उर्स करते हो औलिया अल्लाह की बारगाह में जाते हो,चादर  चढ़ाते हो,वहा ताज़ीम करते हो,उनसे दुआ मांगते हो
इंन सब पे जब शिर्क बिद्अत का फतवा लगा तो कोई टपोरी इमाम नही आया था जवाब देने के लिए


तब  अल्लाह ररब्बुल इज़्ज़त न बरेली शरीफ की जमीन पे इमाम अहमद रज़ा सयदि आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु को पैदा फरमा के
वहाबी,शिया,क़ादियानी,अहले हगीस, आतंकवादियो जमाती, और तमाम फितनो का सर कलम के इमान बचाया तो आला हज़रत ने बचाया था और बचा रहे है और बचाते रहेंगे।


सुन्नियो जब इस्लाम पे हम्ला हुआ तो इस्लाम को ज़िंदा किया
मौला अली रदियल्लाहु अन्हु के शेर ने और जब हिन्द में ईमान लूट रहा था तब इमाम ए हुसैन के मज़हर और उनके फैजान से मेरे आला हज़रत ने उसी इस्लाम को बचा लिया।


और इस दौर में हुज़ूर आला हज़रत का नाम एक पहचान है हुज़ूर गरीब नावज़ रादिअल्लाहु अन्हु को तो सभी मान ने का दावा करते है ,जमाती देवबंदी भी मानते है लेकिन हुज़ूर आला हज़रत एक मीयार है हक़ और बातिल के दरमियान
,एक सच्चा चिश्ती हुज़ूर आला हज़रत से दिली मुहब्बत रख़्खेगा और उनके फतवे को मानेगा भी और अमल भी करेगा।।।।
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की कसम इस दौर की ज़रूरत है            मसलक ए आला हज़रत

ख्वाहजा का हिंदुस्तान ज़िंदाबाद
उलेमा ए हक़ ज़िंदाबाद
औलिया अल्लाह ज़िंदाबाद

सच्चा बरेलवी सुन्नी कभी किसी हक़ वाले अल्लाह के वली से बुग्ज़ नही रखेगा।।

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